कविता – सब चीज नंदावत हे

चींव चींव करके छानही में
चिरइया गाना गावाथे |
आनी बानी के मशीन आय ले
सब चीज नंदावत हे ||
धनकुट्टी मिल के आय ले
ढेंकी ह नंदागे
घरर घरर जांता चले
अब कोन्टा में फेंकागे
गली गली में बोर होगे
तरिया नदिया अटागे |
घर घर में नल आगे
कुंवा ह नंदागे |
पेड़ ल कटइया सबो हे
कोनो नइ लगावत हे
आनी बानी के मशीन आय ले
सब चीज नंदावत हे ||
टेकटर के आय ले
कोनो नांगर नइ जोतत हे
गाय बइला ल पोसेल छोड़के
कुकुर ल अब पोसत हे
कहां ले पाबे दूध दही
अऊ कहां ले पाबे मेवा
लछमी ल तो छोड़के
कुकुर के कराथस सेवा
घर मे होवत हांव हांव
कुकुर कस नरियावत हे
आनी बानी के मशीन आय ले
सब चीज नंदावत हे ||
मिकसी के आय ले
सील लोढहा नंदागे
कुकर में खाना बनत
हड़िया ह फेकागे
चुल्हा फुंकइया कोनो नइहे
गेस सिलेंडर आगे
निरमा पाउडर में बरतन मांजत
राख ह नंदागे
जतकी सुविधा बाढ़त जावत
ओतकी आदमी अलसावत हे
आनी बानी के मशीन आय ले
सब चीज नंदावत हे ||

Mahendra Dewanganरचनाकार
महेन्द्र देवांगन “माटी”
(बोरसी-राजिम वाले)
गोपीबंद पारा पंडरिया
जिला-कवर्धा
8602407353

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